हमारी वर्तमान समस्याओं का समाधान भावनात्मक व्यक्तियों से नहीं, बल्कि बुद्धिजीवियों से ही संभव है।
हमारी वर्तमान समस्याओं का समाधान भावनात्मक व्यक्तियों से नहीं, बल्कि बुद्धिजीवियों से ही संभव है। इसका कारण यह है कि अधिकांश जटिल समस्याएँ बुद्धिजीवियों और विशेष रूप से राजनेताओं द्वारा ही उत्पन्न की जाती हैं—क्योंकि राजनेताओं के पास चालाकी भी होती है और शक्ति भी।
इसीलिए आज के समय में राजनीति-मुक्त समाज व्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक हो गया है। इस व्यवस्था का नेतृत्व भावनात्मक लोग नहीं, बल्कि बुद्धिजीवी ही कर सकते हैं। इसी दृष्टि से हमने मां संस्थान के नेतृत्व में बुद्धिजीवियों की एक टीम बनाना प्रारंभ किया है, जिसका उद्देश्य राजनीति-मुक्त सामाजिक व्यवस्था को सशक्त बनाना है।
भावनात्मक लोगों को साथ जोड़ने के लिए धर्म और साहित्य दोनों का सहारा लेना होगा। इसलिए बुद्धिजीवियों के लिए यह आवश्यक है कि वे धर्म और साहित्य—दोनों क्षेत्रों को सशक्त करें, क्योंकि वर्तमान समय में धूर्त और चालाक लोग इन्हीं दो माध्यमों का उपयोग कर समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। हमें भी इन्हीं माध्यमों का सदुपयोग करते हुए समाज में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा फैलानी होगी।
मैं मां संस्थान के सभी साथियों से निवेदन करता हूँ कि हम धर्म और साहित्य को माध्यम बनाकर भावनात्मक लोगों को प्रेरित करें, और साथ ही बुद्धिजीवियों का एक मजबूत समूह निरंतर विकसित करते रहें—जो समाज की समस्याओं के समाधान पर लगातार चिंतन-मंथन करता रहे।
मां संस्थान को यह समझना होगा कि वर्तमान समय में दुनिया में केवल मां संस्थान ही ऐसा समूह है जो इस दिशा में गंभीरता और निरंतरता के साथ कार्य कर रहा है।
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