हम लोग है ऐसे दीवाने
दुनियां को बदल कर मानेंगे
हम लोग है ऐसे दीवाने, दुनियॉं को बदल कर मानेंगे ।
मंजिल की धुन में आये है, मंजिल को पा कर मानेंगे ।।
जो लक्ष्य हो अपना पूरा हो, तब ही तो तसल्ली पायेंगे,
ऐसे तो नहीं टलने वाले, हम आगे बढ़ते जायेंगे,
इस दिल में हजारों मौजे है, तूफान उठा कर मानेंगे।
हम लोग हैं ऐसे दिवाने, दुनियॉं को बदल कर मानेंगे।
दो दिन की बहारें है जग में, जब जुल्म किसी पर चलता है,
हर जुल्म का सूरज लाख जले, हर शाम को लेकिन ढलता है,
नफरत के शोले दिल में है, हम उन को बुझा कर मानेंगे,
हम लोग हैं ऐसे दिवाने, दुनियॉं को बदल कर मानेंगे।
सच्चाई की खातिर ही तो गांधी ने गोली खाई थी,
ऋषि दयानन्द ने इस सच के खातिर ही जान गंवाई थी,
हां हम भी किसी से कम तो नहीं, तसवीर बदल कर मानेंगे,
हम लोग हैं ऐसे दिवाने, दुनियॉं को बदल कर मानेंगे।
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